Prarabdha
Followers
Blog Archive
▼
2016
(2)
►
July
(1)
▼
June
(1)
शहर का सूरज
►
2015
(4)
►
November
(2)
►
October
(1)
►
January
(1)
►
2014
(1)
►
April
(1)
►
2011
(1)
►
April
(1)
About Me
Prarabdha R. Jaipuriar
View my complete profile
Friday, June 3, 2016
शहर का सूरज
शहरों का सूरज
अक़्सर इमारतों के पीछे ढलता है
जितना बड़ा शहर
उतनी बड़ी इमारतें
उतना छोटा सूरज
रफ़्तार से भागती ज़िन्दगी
रेत से फिसलते ख़्वाब
उनके बीच
वो धूमिल सा सूरज
कहाँ वक़्त
ठहर कर देखें उसे
इमारतें हैं
निगल ही लेंगी
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)