Friday, November 6, 2015

आ गई सर्दी

आज सुबह जब अलसाये हुए
मैंने बिस्तर से आवाज़ लगाई
पूछा तुमसे, कैसा मौसम है
और तुमने अपनी अँगुलियाँ मिला
तर्जनी, मध्यमा की दूसरी गांठ पे
अंगूठा रखा और पास ला अपने चेहरे के
कहा, बस इत्ती सी धूप निकली है बाहर
अहा वही पल रहा होगा
जब दबे पांव मासूमियत से
इस बरस आ गई सर्दी 

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